हस्तरेखा से जानिए क्या है आपका भविष्य...

हस्त रेखा विज्ञान को सामुद्रिक शास्त्र भी कहते हैं। इस पद्धति में हथेलियों की बनावट उंगलियों के आकार-प्रकार के साथ हथेलियों पर उभरी रेखाओं के आधार पर भविष्य के बारे में जाना जाता है। हाथों में दिखाई देने वाली रेखाएं और हमारे भविष्य का गहरा संबंध है। इन रेखाओं का अध्ययन किया जाए तो हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं की भी जानकारी प्राप्त हो सकती है। आज हम आपको ज्योतिष शास्त्र से कुछ ऐसे सरल तरीको के बारे में बताने जा रहे है जिसकी सहायता से आप स्वयं अपने हाथ की रेखाओ को देखकर यह जान सकते है कि आपका भविष्य कैसा होगा।

# जीवन रेखा :

जीवन रेखा हृदय रेखा के ऊपरी भाग से शुरु होकर आमतौर पर मणिबन्ध पर जाकर समाप्त हो जाती है। यह रेखा भाग्य रेखा के समानान्तर चलती है, परन्तु कुछ व्यक्तियो की हथेली में जीवन रेखा हृदय रेखा में से निकलकर भाग्य रेखा में किसी भी बिन्दु पर मिल जाती है। जीवन रेखा तभी उत्तम मानी जाती है यदि उसे कोइ अन्य रेखा न काट रही हो तथा वह लम्बी हो इसका अर्थ है कि व्यक्ति की आयु लम्बी होगी तथा अधिकतर जीवन सुखमय बीतेगा। रेखा छोटी तथा कटी होने पर आयु कम एंव जीवन संघर्षमय होगा।

# मस्तिष्क रेखा :

मस्तिष्क रेखा का आरंभ तर्जनी उंगली के नीचे से होता हुआ हथेली के दूसरे तरफ जाता है जब तक उसका अंत न हो। ज्यादातर, यह रेखा जीवन रेखा के आरंभिक बिन्दु को स्पर्श करती है। यह रेखा व्यक्ति के मानसिक स्तर और बुद्धि के विश्लेषण को, सीखने की विशिष्ट विधा, संचार शैली और विभिन्न क्षेत्रों के विषय मे जानने की इच्छा को दर्शाती है।

# ह्रदय रेखा :

छोटी उंगली के नीचे से आरंभ होकर तर्जनी उंगली की तरफ बढ़ने वाली रेखा ह्रदय रेखा कहलाती है। यह रेखा दिल की शक्ति, संवेदनशीलता, स्वभाव, गुण, अवगुण इत्यादि की ओर इशारा करती है। नीचे झुकी हुई रेखा अंतर्मुखी, साहित्य-संगीत प्रिय व कलाकर बनाती है। ऊपर की ओर जाती रेखा, तकनीकी विद्या का जानकार व दिमाग से कार्य करने की क्षमता को प्रकट करती है।

# भाग्य रेखा :

हथेली के मध्य में एक भाग से लेकर दूसरे भाग तक लेटी हुई रेखा को हृदय रेखा कहते हैं। यदि हृदय रेखा एकदम सीधी या थोडा सा घुमाव लेकर जाती है तो वह व्यक्ति को निष्कपट बनाती है। यदि हृदय रेखा लहराती हुई चलती है तो वह व्यक्ति हृदय से पीडित रहता है। यदि रेखा टूटी हुई हो या उस पर कोइ निशान हो तो व्यक्ति को हृदयाघात हो सकता है।

# विवाह रेखा :


क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के बिल्कुल नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित विवाह रेखाएं कहलाती है। यह रेखाएं रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी, वैवाहिक दंपती के बीच प्रेम और स्नेह के अस्तित्व को दर्शाता है। विवाह रेखा का विश्लेषण करते समय शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को भी ध्यान मे रखना चाहिये।