अपरा एकादशी का व्रत दूर करता हैं जीवन की सभी समस्याएं, जानें पूजा विधि और महत्व

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के रूप में पूजा जाता हैं जो कि इस बार 6 जून, रविवार को मनाई जानी हैं। पालनकर्ता भगवान विष्णु को समर्पित इस दिन का ज्योतिष और पुराणों में बहुत महत्व बताया गया हैं। सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से यह व्रत किया जाए तो जीवन की सभी समस्याओं का निपटारा हो जाता हैं। आज इस कड़ी में हम आपके लिए अपरा एकादशी व्रत की पूजा विधि और महत्व से जुड़ी जानकारी लेकर आए हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारे में।

भगवान व‍िष्‍णु के इस रूप को पूजते हैं

अपरा एकादशी के द‍िन भगवान विष्णु के साथ ही उनके वामन अवतार की पूजा की जाती है। मान्‍यता है कि भगवान वामन की पूजा से मनुष्‍य सभी पापों से मुक्‍त हो जाता है। वहीं अपरा एकादशी का व्रत करने वाले जातक को कुरुक्षेत्र में स्‍नान और दान के बराबर फल मिलता है। इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। लेकिन लॉकडाउन में ऐसा संभव नहीं है तो घर पर ही गंगाजल डालकर स्‍नान कर सकते हैं।

ऐसी है अपरा एकादशी की पूजा व‍िध‍ि

अपरा एकादशी के द‍िन व्रती सुबह स्नानादि से निवृत होकर भगवान विष्णु का ध्यान करें। इसके बाद व्रत करने का संकल्प लें। साथ ही भगवान विष्णु से व्रत के सफलतापूर्वक पूरा होने की प्रार्थना करें। इसके बाद भगवान विष्णु और उनके वामन अवतार वाली तस्वीर को गंगाजल से स्‍नान कराएं। इसके बाद रोली-अक्षत से तिलक करें और सफेद रंग फूल चढ़ाएं। इसके बाद श्रीहर‍ि को को फलों का भोग लगाएं। सामान्‍य स्थितियों में सुबह या शाम को मंदिर जाकर धूप-दीप करना चाहिए। लेकिन लॉकडाउन के समय में आप घर के पूजा स्‍थल पर सुबह और शाम को दीपक जलाएं। इसके बाद निराश्रितों और ब्राह्मणों को फलों का दान दें।

इसका म‍िलता है यह व‍िशेष फल

अपरा एकादशी के द‍िन यदि संभव हो तो रातभर जागकर भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें। यदि ऐसा संभव न हो तो बेड पर सोने की बजाए जमीन पर लेटें। अगले दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें। स्नान करने के बाद मंदिर में धूप-दीप करें और व्रत की सफलता के लिए भगवान को धन्यवाद दें। सूर्य को जल चढ़ाएं और तुलसी के सामने धूप-दीप करें। मान्‍यता है ऐसा करने से व्रती के सभी मनोरथ पूरे होते हैं।

व्रत रखते हैं तो न करें ये कार्य

अपरा एकादशी का व्रत करने वाले लोगों को कुछ बातों का व‍िशेष ख्‍याल रखना चाहिए। अन्‍यथा उन्‍हें व्रत का फल नहीं मिलता। इसलिए उन्‍हें व्रत के दिन दांत साफ करने के लिए टूथब्रश की जगह दातून का प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा पान भूले से भी नहीं खाना चाहिए क्‍योंकि पान खाने से रजोगुण की वृद्धि होती है और अपरा एकादशी त्‍याग को समर्पित द‍िन माना जाता है। व्रती को बेड पर नहीं सोना चाहिए। चावल खाने से भी परहेज करना चाहिए। साथ ही क‍िसी के भी प्रति मन में ईर्ष्‍या-द्वेष नहीं आना चाहिए।