गणेशोत्सव का पर्व पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं, लेकिन अँधेरी चा राजा का गणेशोत्सव देखने का अनोखा मजा हैं। यहाँ हर साल अलग थीम पर गणेशोत्सव मनाया जाता हैं। साल 2015 में अम्बाजी मंदिर, गुजरात की थीम राखी गई थी।
गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले की दांता तालुका में स्थित गब्बर पहाड़ियों के ऊपर अम्बाजी का मंदिर बना हुआ है | माना जाता है कि यह मंदिर लगभग बारह सौ साल पुराना है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार का काम 1975 से शुरू हुआ था जो अब तक जारी है। श्वेत संगमरमर से निर्मित यह मंदिर बेहद भव्य व नयनाभिराम है। मंदिर का शिखर एक सौ तीन फुट ऊँचा है। शिखर पर 358 स्वर्ण कलश सुसज्जित हैं जो मंदिर की खुबसुरती में चार चाँद लगाते है ।
कहने को तो यह मंदिर भी शक्ति पीठ है पर यह मंदिर बाकि मंदिरो से कुछ अलग हटकर है | इस मंदिर में ना तो कोई माँ की मूरत है ना ही कोई पिंडी | इस मंदिर में माँ अम्बा की पूजा श्रीयंत्र की आराधना से होती है जिसे भी सीधे आँखों से देखा नहीं जा सकता | बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहा वर्ष भर देश विदेश से आते रहते है | यह ५१ शक्तिपीठों में से एक है जहां मां सती का हृदय गिरा था। माता श्री अरासुरी अम्बिका के निज मंदिर में श्री बीजयंत्र के सामने एक पवित्र ज्योति अटूट प्रज्ज्वलित रहती है।
अम्बा जी के मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर गब्बर पहाड भी माँ अम्बे के पद चिन्हो और रथ चिन्हो के लिए विख्यात है। माँ के दर्शन करने वाले भक्त इस पर्वत पर पत्थर पर बने माँ के पैरो के चिंह और माँ के रथ के निशान देखने जरुर आते है।