हर साल अपने गणेशोत्सव के आयोजन की अलग थीम के लिए जाने वाले अँधेरी चा राजा में साल 2013 में रांजनगांव महागणपति मंदिर के ऊपर थीम रखी गई थी। आपको इस बात को जानकर हैरानी होंगी की मंदिर के भगवान गणेश की मूर्ति को “महोत्कट” कहा जाता है और ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योकि मूर्ति की 10 सूंढ़ और 20 हाँथ है।
खोल्लम परिवार रांजनगांव में बसा हुआ स्वर्णकारो का एक परिवार था। एतिहासिक रहस्योंद्घाटन के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 9 वी से 10 वी शताब्दी में किया गया। माधवराव पेशवा ने मंदिर के निचले भाग में भगवान गणेश की मूर्ति रखने के लिए एक कमरे का निर्माण भी करवाया था। इसके बाद इंदौर के सरदार किबे से मंदिर की अवस्था में सुधार किया था। मंदिर का नगरखाना भी प्रवेश द्वार पर बना हुआ है। मुख्य मंदिर ऐसा लगता है जैसे इसका निर्माण पेशवा के समय में किया गया। पूर्व मुखी मंदिर का एक विशाल और सुंदर प्रवेश द्वार है।
किंवदंतियों के अनुसार त्रिपुरासुर नामक असुर स्वर्ग और पृथ्वी में मानव समाज को क्षति पंहुचा रहा था। सभी देवताओ की दलीलों को सुनकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें जल्द ही इस बात का एहसास हो गया था की वे उस असुर को पराजित नही कर सकते। इसके बाद नारद मुनि की राय मानकर शिवजी ने गणेश को याद किया और एक ही तीर से असुर और त्रिपुरा के किले को ध्वस्त कर दिया। त्रिपुरा असुर को ध्वस्त करने वाले शिवजी पास ही भीमाशंकर में प्रतिष्ठापित हो गए।