Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के छठवें दिन होगी देवी कात्यायनी की पूजा, रोग, शोक, संताप और भय से होती मुक्ति

नवरात्रि में छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी मां दुर्गा की छठवीं शक्ति हैं। इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है। मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है। वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है। अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है।

कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन ने भगवती पराम्बा की उपासना की थी। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए यह देवी कात्यायनी कहलाईं। इनका गुण शोधकार्य है। इसीलिए इस वैज्ञानिक युग में कात्यायनी का महत्व सर्वाधिक हो जाता है। इनकी कृपा से ही सारे कार्य पूरे जो जाते हैं। ये वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट होकर पूजी गईं।

ऐसा है मां का स्वरूप

मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मां के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है।

मां कात्यायनी का भोग

मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं। देवी को शहद का भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में बांटें। इससे आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।

मां कात्यायनी की पूजन विधि

गोधूली वेला के समय पीले या लाल वस्त्र धारण करके इनकी पूजा करनी चाहिए। इनको पीले फूल और पीला नैवेद्य अर्पित करें। इन्हें शहद अर्पित करना विशेष शुभ होता है। मां को सुगंधित पुष्प अर्पित करने से शीघ्र विवाह के योग बनेंगे। साथ ही प्रेम संबंघी बाधाएं भी दूर होंगी। इसके बाद मां के समक्ष उनके मंत्रों का जाप करें।