सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या से जुड़ी 5 ख़ास बातें, जानकर पा सकेंगे इसका पूर्ण फल

28 सितंबर को अश्विन माह की अमावस्या के साथ पितृपक्ष भी समाप्त हो जाएगा।ऐसे में आपके पास अपने पितरों को प्रसन्न करने का यह बेहतरीन मौका हैं।सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या का बहुत महत्व माना जाता हैं और इस दिन किया गया दान और श्राद्ध पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करवाता है।माना जाता हैं कि इस दिन किया गया तर्पण पितरों की आत्मा को तृप्त करता हैं।आज हम आपको सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या की कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं जिससे आपको इसका पूर्ण फल मिल पाएगा।तो आइये जानते हैं इन ख़ास बातों के बारे में।


- इस श्राद्ध में गोबलि, श्वानबलि, काकबलि और देवादिबलि कर्म करें। अर्थात इन सभी के लिए विशेष मंत्र बोलते हुए भोजन सामग्री निकालकर उन्हें ग्रहण कराई जाती है। अंत में चींटियों के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालने के बाद ही भोजन के लिए थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसा जाता है। इस दिन सभी को अच्छे से पेटभर भोजन खिलाकर दक्षिणा दी जाती है।

- सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गीता के सातवें अध्याय का पाठ करने का विधान भी है। सर्वपितृ अमावस्या पर पीपल की सेवा और पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। स्टील के लोटे में, दूध, पानी, काले तिल, शहद और जौ मिला लें और पीपल की जड़ में अर्पित कर दें।

- सर्वपितृ अमावस्या पितरों को विदा करने की अंतिम तिथि होती है। 15 दिन तक पितृ घर में विराजते हैं और हम उनकी सेवा करते हैं फिर उनकी विदाई का समय आता है। इसीलिए इसे 'पितृविसर्जनी अमावस्या', 'महालय समापन' या 'महालय विसर्जन' भी कहते हैं। जो नहीं आ पाते हैं या जिन्हें हम नहीं जानते हैं उन भूले-बिसरे पितरों का भी इसी दिन श्राद्ध करते हैं। अत: इस दिन श्राद्ध जरूर करना चाहिए।

- शास्त्र कहते हैं कि पुन्नामनरकात् त्रायते इति पुत्रः जो नरक से त्राण (रक्षा) करता है वही पुत्र है। इस दिन किया गया श्राद्ध पुत्र को पितृदोषों से मुक्ति दिलाता है। अत: पूर्वजों के निमित्त शास्त्रोक्त कर्म करें जिससे उन मृत प्राणियों को परलोक अथवा अन्य लोक में भी सुख प्राप्त हो सके। शास्त्रों में मृत्यु के बाद और्ध्वदैहिक संस्कार, पिण्डदान, तर्पण, श्राद्ध, एकादशाह, सपिण्डीकरण, अशौचादि निर्णय, कर्म विपाक आदि के द्वारा पापों के विधान का प्रायश्चित कहा गया है।

- मान्यता है कि इस दिन सभी पितर आपके द्वार पर उपस्थित हो जाते हैं। अगर कोई श्राद्ध तिथि में किसी कारण से श्राद्ध न कर पाया हो या फिर श्राद्ध की तिथि मालूम न हो तो सर्वपितृ श्राद्ध अमावस्या पर श्राद्ध किया जा सकता है। सर्वपितृ अमावस्या उन पितरों के लिए भी होती है जिनके बारे में आप नहीं जानते हैं। अत: सभी जाने और अनजाने पितरों हेतु इस दिन निश्चित ही श्राद्ध किया जाना चाहिए।