कोका-कोला ने बनाई पहली ग्रीन बोतल, समुद्र के प्लास्टिक कचरे का किया इस्तेमाल

By: Priyanka Maheshwari Sat, 12 Oct 2019 10:55:47

कोका-कोला ने बनाई पहली ग्रीन बोतल, समुद्र के प्लास्टिक   कचरे का किया इस्तेमाल

पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनी कोका-कोला (Coca Cola) ने समुद्र से निकाले गए प्लास्टिक के कचरे की रीसाइकिलिंग करके ग्रीन बोतल बनाने का दावा किया है। कंपनी ने 300 बोतलों का पहला बैच तैयार किया है। कंपनी का कहना है कि यह धरती को प्लास्टिक के कचरे से मुक्त करने के ग्रीन इनीशिएटिव को आगे बढ़ाएगा। इसके लिए स्वयंसेवकों ने स्पेन और पुर्तगाल के 84 समुद्र तटों से प्लास्टिक कचरा जमा किया था। इसके बाद इन्हें रीसाइकिल किया गया।

कंपनी का दावा है कि उसका मकसद हर साल 2 लाख टन नई प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकना है। कंपनी ने कहा कि हमें पता है कि इसे सही करने के लिए हमें काफी कुछ करना होगा। पैकेजिंग में प्लास्टिक की अहम भूमिका है, लेकिन इसे हमेशा जमा करना होगा, रीसाइकिल करना होगा और फिर से इस्तेमाल करना होगा। कोका-कोला ने कहा कि उसे उम्मीद है कि अगले साल तक उसके उपभोक्ताओं को इन्हैन्स्ड रीसाइकिलिंग टेक्नोलॉजी से बनी हुई प्लास्टिक की बोतलें बाजार में दिखनी शुरू हो जाएंगी।

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बताते चलें कि दुनियाभर में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है। यह ऐसा पदार्थ है, जो कभी खत्म नहीं होता है। एक अनुमान के मुताबिक अगर इसके इस्तेमाल को कम नहीं किया गया, तो साल 2050 तक समुद्र में मछलियों से ज्यादा प्लास्टिक का कचरा होगा। भारत ने भी इस दिशा में कदम उठाया है और 2 अक्टूबर 2019 को पीएम मोदी ने सिंगल यूज प्रयोग में आने वाली प्लास्टिक को बैन करने की घोषणा की है।

सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) वह है, जिसका प्रयोग केवल एक ही बार किया जाए। इसमें प्लास्टिक की थैलियां, प्लेट, ग्लास, चम्मच, बोतलें, स्ट्रॉ और थर्माकोल शामिल हैं। इनका एक बार इस्तेमाल के बाद फेंक दिया जाता है। इस प्लास्टिक में पाए जाने वाले केमिकल पर्यावरण के साथ ही लोगों के लिए काफी घातक हैं।

सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर गन्ने की भूसी बेहतर विकल्प है। गन्ने की भूसी से बने चम्मच, प्लेट, डिब्बा आदि का प्रयोग दुकानदार और व्यवसायी तेजी से कर रहे हैं। बीते एक महीने से इसकी काफी डिमांड बढ़ी है। पहले गन्ने की भूसी का एक डिब्बे की कीमत 15 रुपये थी। अब अधिक उत्पादन होने के चलते एक डिब्बा साढ़े सात रुपये में बिक रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक बंद होने से इसका उत्पादन अधिक होगा। ऐसा होने से इसकी कीमत और कम होने की संभावना है।

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