सेना का फेक एनकाउंटर / जिन तीन लड़कों का 18 जुलाई को आतंकी मानकर कश्मीर में एनकाउंटर किया वो निकले मजदूर, अब होंगी जांच

By: Pinki Mon, 10 Aug 2020 11:34:47

सेना का फेक एनकाउंटर / जिन तीन लड़कों का 18 जुलाई को आतंकी मानकर कश्मीर में एनकाउंटर किया वो निकले मजदूर, अब होंगी जांच

सेना ने कश्मीर के शोपियां में पिछले महीने की 18 तारीख को जिन तीन आतंकियों का एनकाउंटर किया वो राजौरी के रहने वाले मजदूर निकले। एनकाउंटर के 21 दिन के बाद मारे गए तीनों लड़कों के परिवार वाले सामने आए हैं और उनका कहना है कि जिन तीन लोगों को आतंकवादी बताकर मार डाला गया वो उनके बच्चे हैं जो राजौरी के रहने वाले हैं और मजदूरी करने कश्मीर के शोपियां गए थे। पुलिस के मुताबिक, इस ऑपरेशन के पहले इनपुट सेना को मिला था और सेना ने ही एनकाउंटर शुरू किया। जबकि सेना का कहना है कि ये फेक एनकाउंटर नहीं था और सेना इसकी जांच कर रही है।

18 जुलाई को हर एनकाउंटर के बाद स्टेटमेंट जारी करने वाली जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस एनकाउंटर के बाद भी एक स्टेटमेंट जारी किया और कहा- सेना की 62 राष्ट्रीय राइफल्स के इनपुट के आधार पर शोपियां के अमिशपोरा गांव में आतंकियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी। जहां एक ऑपरेशन चलाया गया। सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने सेना के लोगों पर फायरिंग की और एनकाउंटर शुरू हो गया। बाद में पुलिस और सीआरपीएफ भी एनकाउंटर में शामिल हो गए। मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए जिनकी पहचान नहीं हो पाई है। एनकाउंटर वाली जगह से हथियार और गोला बारूद बरामद हुआ है।

पुलिस के मुताबिक, मेडिकल जांच के बाद उन तीनों को बारामुला में दफन कर दिया जाएगा। यदि कोई परिवार शव की मांग करता है तो शव दफन करते वक्त वो मौजूद रह सकते हैं। हर एनकाउंटर के बाद बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने इस एनकाउंटर के बाद कोई बयान नहीं दिया। हालांकि, सेना ने इसके अगले दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। ये कहते हुए कि आतंकवादियों के पास से हथियार मिले हैं। कश्मीर की 15 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने तो ये तक कहा कि ये असल एनकाउंटर है और कुछ परिवार आतंकियों का शव मांगने सामने भी आए हैं।

सेना ने शुरू की जांच

22 दिन बाद 10 अगस्त को सेना ने इस एनकाउंटर की जांच शुरू कर दी है, ये पता करने की कहीं ये एनकाउंटर सच में फेक तो नहीं था। वहीं, उन तीन लड़कों के परिवारों ने बाकायदा तस्वीरें जारी की हैं। परिवार ने जो तस्वीरें जारी की हैं, उनमें ये तीनों लड़के एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों से काफी मिल रहे हैं। सेना के मुताबिक, उन्हें 18 जुलाई के शोपियां एनकाउंटर से जुड़े सोशल मीडिया इनपुट मिले हैं। सेना ने ये भी कहा है कि उन तीनों आतंकवादियों की पहचान अब तक नहीं हो पाई है और उनके शव दफन कर दिए गए हैं। फिलहाल जांच जारी है और माना जा रहा है कि इनके डीएनए टेस्ट करवाए जाएंगे।

जिन तीन मजदूरों की तस्वीर सामने आई है वो राजौरी के रहने वाले थे और 21 दिन से उनका अपने परिवार के साथ राजौरी संपर्क नहीं हो पाया था। उनके नाम इम्तियाज अहमद, अबरार और अबरार अहमद है।परिवार का कहना है कि उनके बेटे मजदूरी करने कश्मीर गए थे। और उनसे 16 जुलाई के बाद से बात नहीं हो पाई।

21 दिन बाद किसी ने उन्हें 18 जुलाई की तस्वीर दिखाई, जिसमें तीन आतंकवादियों को मारा गया था। तस्वीर में हमने अपने बेटे को पहचाना। फिलहाल उन्होंने राजौरी प्रशासन से कश्मीर जाने देने की इजाजत मांगी है।

गौरतलब है कि सेना ने कश्मीर के माच्छिल सेक्टर में 2010 में एक फेक एनकाउंटर में तीन लोगों को मार डाला था, जिसके बाद घाटी के हालात बेहद ज्यादा खराब हो गए थे। इसके बाद कई महीनों तक कर्फ्यू लगाना पड़ा था और 100 से ज्यादा लोगों की पत्थरबाजी और प्रदर्शन करते जान गई थी। वहीं इससे पहले 2000 में पथरी-बल में पांच नागरिकों की फेक एनकाउंटर में मौत हो गई थी।

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