मन की बात / PM मोदी ने कहा - देश में अब बहुत कुछ खुल चुका है, ज्यादा सतर्क रहें

By: Pinki Sun, 31 May 2020 12:27:40

मन की बात / PM मोदी ने कहा - देश में अब बहुत कुछ खुल चुका है, ज्यादा सतर्क रहें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि अब बहुत कुछ खुल चुका है, ऐसे में और सावधानी रखने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के 65वें भाग में देशवासियों को संबोधित करते हुए यह बात कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन चल रही हैं, अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू हो गई हैं। तमाम सावधानियों के साथ, हवाई जहाज उड़ने लगे हैं, धीरे-धीरे उद्योग भी चलना शुरू हुआ है, यानी अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा अब चल पड़ा है, खुल गया है। ऐसे में अब दो गज की दूरी, मास्क लगाना, इसमें ढिलाई नहीं होनी चाहिए। हमारी जनसंख्या ज़्यादातर देशों से कई गुना ज्यादा है, इसलिए चुनौतियां भी ज्यादा हैं, लेकिन हमारे यहां काफी कम नुकसान हुआ है। पीएम ने आगे कहा कि कोरोना से होने वाली मृत्यु दर भी हमारे देश में काफी कम है। जो नुकसान हुआ है, उसका दु:ख हम सबको है, लेकिन जो कुछ भी हम बचा पाएं हैं, वो निश्चित तौर पर देश की सामूहिक संकल्पशक्ति का ही परिणाम है।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'कोरोना काल में देखा जा रहा है कि हरिद्वार से हॉलीवुड तक लोग योग अपना रहे हैं। कई लोग आयुर्वेद की तरफ लौट रहे हैं। योग कम्युनिटी, इम्युनिटी और यूनिटी के लिए बेहतर साबित हो सकता है। कपालभाती और अनुलोम-विलोम, प्राणायाम से अधिकतर लोग परिचित होंगे, लेकिन भस्त्रिका, शीतली, भ्रामरी जैसे कई प्राणायाम के प्रकार हैं, जिसके, अनेक लाभ भी हैं आपके जीवन में योग को बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने एक प्रतियोगिता शुरू की है। दुनियाभर से लोग इसमें हिस्सा ले सकते हैं। आपको योग करते हुए वीडियो पोस्ट करना है और योग से आए बदलावों को बताना है।'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारी सबसे बड़ी ताकत देशवासियों की सेवा है। हमारे यहां सेवा परमो धर्म कहा गया है। आपने देखा होगा कि दूसरों की सेवा में लगे व्यक्ति के जीवन में, कोई डिप्रेशन या तनाव कभी नहीं दिखता। उसके जीवन में, जीवन को लेकर उसके नजरिए में, भरपूर आत्मविश्वास, सकारात्मकता और जीवंतता प्रतिपल नजर आती है। डॉक्टर, मीडिया, नर्सिंग स्टाफ, पुलिस जो सेवा कर रहे हैं, उनकी मैंने कई बार चर्चा की है। इनकी संख्या अनगिनत हैं।'

सेवा में अपना सब कुछ समर्पित कर देने वाले लोगों की संख्या अनगिनत है। ऐसे ही एक सज्जन हैं तमिलनाडु के सी मोहन सी मोहन मदुरै में एक सैलून चलाते हैं। इन्होंने अपनी मेहनती की कमाई से बेटी की पढ़ाई के लिए पांच लाख रुपये बचाए थे। लेकिन इन दिनों उन्होंने अपनी सारी जमा-पूंजी देश की सेवा के लिए खर्च कर दी।

उन्होंने कहा, 'अगरतला के ठेला चलाने वाले एक व्यक्ति रोज अपने घर से खाना बनाकर लोगों को बांट रहे हैं। देश के कई इलाकों से सेवा की कहानियां सामने आ रही हैं। हमारी मांएं-बहनें लाखों मास्क बना रही हैं। कई लोग मुझे नमो ऐप पर मुझे अपने प्रयासों के बारे में बता रहे हैं। मैं समयाभाव के चलते लोगों का नाम नहीं ले पाता, पर उनका तहेदिल से अभिनंदन करता हूं।'

देश के सभी इलाकों से वुमन सेल्फ हेल्प ग्रुप के परिश्रम की भी अनगिनत कहानियां इन दिनों हमारे सामने आ रही हैं। गांवों, कस्बों में, हमारी बहनें-बेटियां, हर दिन मास्क बना रही हैं। तमाम सामाजिक संस्थाएं भी इस काम में इनका सहयोग कर रही हैं। साथियो, ऐसे कितने ही उदाहरण, हर दिन, दिखाई और सुनाई पड़ रहे हैं। कितने ही लोग, खुद भी मुझे नमो एप और अन्य माध्यमों के जरिए अपने प्रयासों के बारे में बता रहे हैं।

एक बात जो दिल को छू गई, वह है लोगों का इनोवेशन

प्रधानमंत्री ने कहा, एक बात जो दिल को छू गई, वह है लोगों का इनोवेशन। मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था। कई दुकानदारों ने, दो गज की दूरी के लिए, दुकान में, बड़े पाइपलाइन लगा लिए हैं, जिसमें एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से, ग्राहक, अपना सामान ले लेते हैं। इस दौरान पढ़ाई के क्षेत्र में भी कई अलग-अलग इनोवेशन शिक्षकों और छात्रों ने मिलकर किए हैं। ऑनलाइन क्लासेज और वीडियो क्लासेज , उसको भी, अलग-अलग तरीकों से इनोवेट किया जा रहा है। नासिक के एक गांव में किसान ने ट्रैक्टर से जोड़कर सैनिटाइजेशन मशीन बनाई है। महामारी पर जीत के लिए ये इनोवेशन ही बड़ा आधार है। इससे लंबी लड़ाई है, इसका पहले का कोई अनुभव ही नहीं है।

उन्होंने कहा, 'भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो इसके प्रभाव से दूर हो। गरीबों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा। कौन ऐसा होगा जो उनकी तकलीफ नहीं समझेगा। पूरा देश उन्हें समझने में लगा है। हर विभाग के कर्मचारी उनके लिए जुटे हैं। रेलवे के कर्मचारी कोरोना वॉरियर्स ही है। मजदूरों को भेजने, खाने-पीने, टेस्टिंग की व्यवस्था की जा रही है। जिस पूर्वी हिस्से में देश को ऊंचाई पर ले जाने का सामर्थ्य है, वहां के विकास से ही देश का विकास संभव है। मुझे संतोष है कि बीते सालों में इस दिशा में काफी कुछ हुआ है। कई स्टार्टअप इस काम में जुटे हैं। गांवों में नवोद्योगों की कई संभावनाएं खुली हैं। हमारे गांव, जिले, राज्य आत्मनिर्भर होते तो समस्या इस रूप में नहीं आई होती जो आज हमारे सामने खड़ी है।'

कोरोना की वैक्सीन पर, हमारी लैब्स में जो काम हो रहा है उस पर तो दुनियाभर की नजर है और हम सबकी आशा भी। किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए, इच्छाशक्ति के साथ ही, बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है।

साथियो, कोरोना एक ऐसी आपदा जिसका पूरी दुनिया के पास कोई इलाज नहीं है, पहले का अनुभव नहीं है, ऐसे में, नयी चुनौतियां, परेशानियां हम अनुभव कर रहें हैं। ये दुनिया के हर देश में हो रहा है, इसलिए भारत भी इससे अछूता नहीं है।

'आयुष्मान भारत योजना के 80% लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्र से'

हमारे देश में, करोडों-करोड़ गरीब, दशकों से, एक बहुत बड़ी चिंता में रहते आए हैं - अगर, बीमार पड़ गए तो क्या होगा? इस तकलीफ को समझते हुए, इस चिंता को दूर करने के लिए ही, करीब डेढ़ साल पहले आयुष्मान भारत योजना शुरू की गई थी।

- प्रधानमंत्री ने कहा, 'मणिपुर में 6 साल के बच्चे को आयुष्मान भारत योजना से नया जीवन मिला। उसे मस्तिष्क की बीमारी से मुक्ति मिली। उसके पिता दिहाड़ी मजदूर थे। कभी ऐसे व्यक्ति से जरूर बात करें जिसने आयुष्मान योजना के तहत इलाज कराया हो। जिन गरीबों का मुफ्त इलाज हुआ, उनके सुख का अंदाजा आप लगा सकते हैं। उसके पुण्य के हकदार हमारे ईमानदार करदाता यानी आप भी हैं। आयुष्मान भारत योजना के 80% लाभार्थी ग्रामीण क्षेत्र से हैं। इनकी संख्या एक करोड़ से ज्यादा हो गई है।'

- 'एक तरफ जहां पूर्वी भारत तूफान अम्फान से हुए नुकसान से जूझ रहा है, वहीं कई हिस्सों में खेती पर टिड्डी दल का हमला हुआ है। हम साथ रहे तो काफी कुछ बचा लेंगे।'

- 'जैव विविधता दिवस आने वाला है। लॉकडाउन में जीवन की रफ्तार धीमी हुई है, लेकिन कई पशु-पक्षी इस समय राहत की सांस ले रहे हैं। अब लुप्तप्राय समझे जा रहे पक्षियों की आवाजें आ रही हैं। हवा साफ हो गई है तो घरों से पर्वतों की चोटियां नजर आ रही हैं। हम सुनते हैं कि जल है तो कल है। बारिश की एक-एक बूंद को बचाना है। इसके लिए हमारे पास कई परंपरागत उपाय हैं। यही जल हमारी शक्ति बन जाएगा। इस वर्षा ऋतु में हम सबकी कोशिश होनी चाहिए कि पानी का संरक्षण करें। 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर पेड़ लगाएं।'

- 'हम सबको ध्यान रखना होगा कि कितनी तपस्या के बाद देश पटरी पर लौटा है। आपको, आपके परिवार को कोरोना से उतना ही खतरा हो सकता है। दो गज की दूरी, मास्क, हाथ धोने का उसी तरह पालन करते रहें। विश्वास है कि आप, अपनों और देश के लिए ये सावधानियां जरूर रखेंगे।'

- 'हमारे रेलवे के साथी दिन-रात लगे हुए हैं। केंद्र, राज्य, स्थानीय स्वराज की संस्थाएं- दिन-रात मेहनत कर रहें हैं। जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वे भी एक प्रकार से अग्रिम पंक्ति में खड़े कोरोना वॉरियर्स ही हैं। लाखों श्रमिकों को, ट्रेनों, बसों से सुरक्षित ले जाना, उनके खाने-पाने की चिंता करना, हर जिले में क्वारंटीन केन्द्रों की व्यवस्था, सभी की टेस्टिंग, चेक-अप, उपचार की व्यवस्था, ये सब काम लगातार चल रहे हैं और बड़ी मात्रा में चल रहे हैं।'

लॉकडाउन-5 की जगह 'अनलॉक-1' 30 जून तक

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए चार चरणों में 68 दिन चला लॉकडाउन का दौर 1 जून से खत्म हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी। पहले ये 21 दिनों के लिए था। उसके बाद इसे अलग-अलग चरणों में 31 मई तक बढ़ाया गया।

गृह मंत्रालय ने शनिवार को लॉकडाउन-5 की जगह अनलॉक-1 का फॉर्मूला दिया। इसकी गाइडलाइंस भी जारी की हैं। रियायतें बढ़ाने के साथ ही सरकार ने मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग समेत कई ऐहतियात बरतने की सलाह दी है। लॉकडाउन की पाबंदी 30 जून तक सिर्फ कंटेनमेंट जोन में रहेंगी। रियायतों पर अंतिम फैसला राज्य करेंगे। राज्य कंटेनमेंट के बाहर भी गतिविधियां रोक सकते हैं।

पिछले 24 घंटे में देश में रिकॉर्ड 8,380 नए कोरोना केस सामने आए हैं और 193 लोगों की मौत हो गई है। देश में अब कुल कोरोना मामलों की संख्या 1,83,143 है, जिसमें 89995 एक्टिव केस हैं। जबकि 86984 लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।

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