कोरोना टेस्ट में भारतीय वैज्ञानिकों को मिली बड़ी कामयाबी, ईजाद किया जांच का नया तरीका

By: Pinki Thu, 04 June 2020 1:08:41

कोरोना टेस्ट में भारतीय वैज्ञानिकों को मिली  बड़ी कामयाबी, ईजाद किया जांच का नया तरीका

कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या देश में 2 लाख 16 हजार 824 हो गई। बुधवार को एक दिन में 9638 नए संक्रमित मिले. इससे पहले एक दिन में सबसे ज्यादा 8789 मरीज 31 मई को मिले थे। बीते सात दिन से देश में रोज 7 हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। 2 जून को 8820, 1 जून को 7723, 31 मई को 8789, 30 मई को 8364, 29 मई को 8138, 28 मई को 7254 और 27 मई को 7246 कोरोना पॉजिटिव मिले थे। उधर कोरोना वायरस को लेकर भारत को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। भारतीय वैज्ञानिकों ने कोरोना जांच का एक और तरीका ईजाद कर लिया है जिसकी मदद से वायरस का फैलाव कम समय और कम खर्च में पता लगाया जा सकता है।

बता दे, अभी तक दुनिया भर में वायरस की जांच के लिए आरटी पीसीआर को ही सबसे भरोसेमंद माना जा रहा थ। हालाकि, इस तकनीक से जांच में ज्यादा समय लगता है और खर्चा भी ज्यादा आता है। वर्तमान में एक सैंपल की आरटी पीसीआर जांच के लिए करीब दो से तीन घंटे लैब में लग जाते हैं। लेकिन भारत ने जो तकनीक निकाली है उससे जांच न सिर्फ 40% सस्ती पड़ेगी, बल्कि 20% ज्यादा प्रभावी परिणाम भी मिल सकते हैं।

भारत ने ईजाद किए तरीके को दुनिया की सबसे तेज जांच भी बताया जा रहा है। हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलीक्यूलर बॉयोलॉजी (सीसीएमबी-सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने आरएनए जांच के लिए आरटी पीसीआर की मोडिफाईड तकनीक का पता लगा लिया है। टीई बफर तकनीक के जरिए आरटी पीसीआर की जांच में करीब आधा समय ही लगता है।

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सीसीएमबी के निदेशक डॉ राकेश मिश्रा ने बताया कि इस तकनीक से जुड़ी तमाम जानकारी आईसीएमआर को भेजी जाएगी, जिसके बाद इस पर आगे काम शुरू होगा। हालांकि इस तकनीक का इस्तेमाल मरीज की जांच में न करते हुए बड़े स्तर पर वायरस का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

इसमें भी गले और नाक से स्वैब लेने के बाद उनका आरएनए परीक्षण किया जाता है। दिल्ली आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट पर काफी तेजी से काम चल रहा है। अगले एक से डेढ़ सप्ताह में इस प्रोजेक्ट पर फैसला लिया जा सकता है।

इसे यूं भी समझा जा सकता है कि दिल्ली या मुंबई जैसे शहर के एक घनी आबादी वाले क्षेत्र में करीब 50 हजार सैंपल लेकर वायरस के फैलाव का पता लगाना है तो हर सैंपल को एक बारकोड देते हुए टीई तकनीक से आरएनए परीक्षण किया जा सकता है। इस तकनीक में महज दो से तीन दिन में ही 50 हजार सैंपल की रिपोर्ट मिल सकती है।

सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर मांडे का कहना है कि बड़े स्तर पर जांच करने के लिए इस तकनीक के इस्तेमाल पर काम चल रहा है। अगले आठ से 10 दिन में इसे लेकर और सटीक आकलन सामने आ जाएगा। एक साथ 40 से 50 हजार सैंपल की जांच हो सकती है।

40 मरीजों पर किया गया अध्ययन

तेलंगना के सिंकदराबाद स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल आए 40 मरीजों के दो तरह से सैंपल लिए गए। नाक और गले से दो-दो बार सैंपल लेने के बाद एक को वीटीएम में 4 डिग्री तापमान पर रखा गया। जबकि दूसरे सैंपल को ड्राई तरीके से रखा गया है।

पहले 14 मरीजों के सैंपल पर जांच की गई, और इसके बाद 26 मरीजों के सैंपल पर। 14 में से 9 पॉजिटिव सैंपल मिले थे, जबकि पांच निगेटिव मिले। आरटी पीसीआर के अलावा टीई बफर तकनीक दोनों से सैंपल की जांच की गई, जिसमें टीई बफर तकनीक से कम समय में आरएनए को अलग करते हुए जल्दी कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई।

इधर आरटी लैंप और फेलूदा भी सस्ती किट तैयार

सीएसआईआर के अनुसार कोरोना वायरस की जांच को लेकर वैज्ञानिक नई नई किट पर काम कर रहे हैं। अभी जम्मू के वैज्ञानिकों ने आरटी लैंप और दिल्ली में फेलूदा किट बनाई है जो करीब 500 रुपये से कम कीमत में उपलब्ध होगी। टाटा और रिलायंस कंपनी से इन किट्स के निर्माण को लेकर करार किया है। जल्द ही इन्हें बाजार में उपलब्ध कराया जा सकेगा।इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कोरोना वायरस जांच की कीमत में तकरीबन 60% की गिरावट आ जाएग।

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