राज्यसभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में निधन, छह महीने से थे बीमार

By: Pinki Sat, 01 Aug 2020 5:21:00

राज्यसभा सांसद अमर सिंह का सिंगापुर में निधन, छह महीने से थे बीमार

पूर्व समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह का शनिवार को सिंगापुर में निधन हो गया है। वो पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था। कुछ दिनों पहले ही उनका किडनी ट्रांसप्लांट किया गया था। अंतिम वक्‍त में उनके साथ केवल उनकी पत्नी ही वहां थीं। अमर सिंह के सियासी सफर में ऊपर चढ़ने और नीचे गिरने की कहानी दो दशकों के दौरान लिखी गई। एक दौर में वो समाजवादी पार्टी के सबसे असरदार नेता थे, उनकी तूती बोलती थी लेकिन हाशिए पर भी डाले जाते रहे। समाजवादी पार्टी की कमान अखिलेश के हाथों में जाने के बाद उन्हें सपा से किनारा करना पड़ा।

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रहे अमर सिंह का मार्च महीने में एक वीडियो खूब चर्चा में रहा था। जिसमें उन्होंने अपनी मौत की अफवाहों पर विराम लगाते हुए स्पष्ट किया था कि वो ठीक हैं और बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्होंने अपने पहले के अनुभवों को साझा करते हुए कहा था कि उनकी तबीयत पहले भी बिगड़ी थी लेकिन हर बार वो मौत के मुंह से लड़कर वापस आ गए।

वीडियो में अमर सिंह कहते हैं, 'सिंगापुर से मैं अमर सिंह बोल रहा हूं। रुग्ण (बीमार) हूं, त्रस्त हूं व्याधि (दिक्कतों) से लेकिन संत्रस्त (डरा) नहीं। हिम्मत बाकी है, जोश बाकी है, होश भी बाकी है। हमारे शुभचिंतक और मित्रों ने ये अफवाह बहुत तेजी से फैलाई है कि यमराज ने मुझे अपने पास बुला लिया है। ऐसा बिल्कुल नहीं है। मेरा इलाज चल रहा है और मां भगवती की कृपा हुई तो अपनी शल्य चिकित्सा के उपरांत शीघ्र-अतिशीघ्र दोगुनी ताकत से वापस आऊंगा।'

उन्होंने आगे कहा, 'आप लोगों के बीच सदैव की भांति...जैसा भी हूं, जो भी हूं आपका हूं। बुरा हूं तो अच्छा हूं तो...अपनी चिरपरिचित शैली, प्रथा और परंपरा के अनुकूल जैसे अबतक जीवन जिया है, वैसे ही आगे भी जिऊंगा।'

पूर्व समाजवादी पार्टी नेता अमर सिंह ने कहा, 'बाकी हमारे मित्र जो हमारी मृत्यु की कामना कर रहे हैं, वह यह कामना छोड़ दें। हरदम मृत्यु हमारे द्वार को खटखटाती है। एकबार हवाई जहाज से गिर गया था तो भी यमराज ने स्वीकार नहीं किया, झांसी में। दस साल पहले भी गुर्दे का प्रत्यारोपण हुआ फिर भी लौटकर आ गया। 12-13 दिन तक मिडिल ईस्ट में वेंटिलेटर में रहकर मौत से लड़कर आ गया। उन तमाम अवसर के मुकाबले अबकी बार तो बिल्कुल स्वस्थ हूं, बिल्कुल सचेतन हूं।'

बता दे, एक जमाना था जब समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह उन पर बहुत भरोसा करते थे लेकिन पार्टी की बागडोर अखिलेश के हाथों में आने के साथ ही अमर को किनारे कर दिया गया। हालांकि एक समय ऐसा था जब अमर सिंह को पार्टी के लिए उपयुक्त माना जाता था। नेटवर्किंग से लेकर तमाम अहम जिम्मेदारियों का दारोमदार उनके कंधों पर था। 90 के दशक के आखिर में अमर सिंह को उत्तर प्रदेश में शुगर लॉबी का असरदार आदमी माना जाता था। इसी सिलसिले में उनकी तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम से करीबी बढ़ी। वर्ष 1996 के आसपास वो समाजवादी पार्टी में शामिल हुए। फिर जल्दी ही पार्टी के महासचिव बना दिये गए। वो ताकतवर होते गए। कहा जाने लगा था कि मुलायम कोई भी काम बगैर उनके पूछे नहीं करते। उस वक्‍त ये भी कहा जाने लगा कि राजनीति में अमर सिंह के लिए कोई भी काम असंभव नहीं। 2008 में भारत की न्यूक्लियर डील के दौरान वामपंथी दलों ने समर्थन वापस लेकर मनमोहन सिंह सरकार को अल्पमत में ला दिया। तब अमर सिंह ने ही समाजवादी सांसदों के साथ साथ कई निर्दलीय सांसदों को भी सरकार के पाले में ला खड़ा किया। संसद में नोटों की गड्ढी लहराने का मामला भी सामने आया। इस मामले में अमर सिंह को तिहाड़ जेल भी जाना पड़ा।

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