रामविलास पासवान को अंतिम विदाई, पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि
By: Pinki Fri, 09 Oct 2020 10:13:51
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का लंबी बीमारी के बाद बीती शाम निधन हो गया। 74 साल के रामविलास पासवान कई दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर कई दिग्गजों ने केंद्रीय मंत्री के निधन पर दुख व्यक्त किया। आज रामविलास पासवान के पार्थिव शरीर को पटना ले जाया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर आज सुबह एम्स से उनके 12 जनपथ स्थित सरकारी घर पर लाया गया। दोपहर 2 बजे के बाद उनके पार्थिव शरीर को पटना में लोकजनशक्ति पार्टी के कार्यालय लाया जाएगा। रामविलास पासवान का अंतिम संस्कार शनिवार को पटना में किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पासवान को श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं। इससे पहले पीएम मोदी ने अपना दुख शेयर करते हुए ट्वीट किया, 'मैं शब्दों से परे दुखी हूं। हमारे राष्ट्र में अब एक ऐसा शून्य है जो शायद कभी नहीं भरेगा। रामविलास पासवान जी का निधन एक व्यक्तिगत क्षति है। मैंने एक दोस्त, मूल्यवान सहयोगी और ऐसे व्यक्ति को खो दिया है, जो हर गरीब की गरिमापूर्ण जिंदगी की सुनिश्चित करने के लिए बेहद उत्सुक था।' पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में एक तस्वीर भी शेयर की है जिसमें वे केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के साथ हाथ मिलाते हुए नजर आ रहे हैं। पासवान मोदी कैबिनेट में सबसे उम्रदराज मंत्री थे।
Delhi: Prime Minister Narendra Modi pays last respects to Union Minister and LJP leader Ram Vilas Paswan at the latter's residence.
— ANI (@ANI) October 9, 2020
The LJP leader passed away yesterday. pic.twitter.com/b6Hd5U0RDw
2 बार हार्ट सर्जरी हुई थी
पासवान 11 सितंबर को अस्पताल में भर्ती हुए थे। एम्स में 2 अक्टूबर की रात उनकी हार्ट सर्जरी हुई थी। इससे पहले भी एक बायपास सर्जरी हो चुकी थी।
1969 में शुरू हुआ था राजनीतिक सफर
खगड़िया में एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को जन्मे रामविलास पासवान राजनीति में आने से पहले बिहार प्रशासनिक सेवा में अधिकारी थे। छात्र राजनीति में सक्रिय रामविलास पासवान, जयप्रकाश नारायण के समाजवादी आंदोलन से निकले थे। साल 1969 में पहली बार पासवान बिहार के विधानसभा चुनावों में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप निर्वाचित हुए। उसके बाद 1974 में जब लोक दल बना तो पासवान उससे जुड़ गए और महासचिव बनाए गए। साल 1975 के आपातकाल का विरोध करते हुए पासवान जेल भी गए। रामविलास पासवान साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी के उम्मीददवार के रूप में हाजीपुर सीट से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। हाजीपुर में उन्होंने रिकॉर्ड वोट से जीत हासिल कर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा। इसके बाद साल 1980 के लोकसभा चुनावों में इसी सीट से दोबारा जीत हासिल की।
Delhi: BJP national president JP Nadda pays last respects to Union Minister and LJP leader Ram Vilas Paswan at the latter's residence.
— ANI (@ANI) October 9, 2020
The LJP leader passed away yesterday. pic.twitter.com/Q18dAPhm0c
1977 की रिकॉर्ड जीत के बाद रामविलास पासवान फिर से 1980 और 1989 के लोकसभा चुनावों में जीते। इसके बाद बनी विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया। अगले कई सालों तक विभिन्न सरकारों में पासवान ने रेल से लेकर दूरसंचार और कोयला मंत्रालय तक की जिम्मेदारी संभाली। इस बीच, वे भाजपा, कांग्रेस, राजद और जदयू के साथ कई गठबंधनों में रहे और केंद्र सरकार में मंत्री बने रहे। पासवान नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली दोनों सरकारों में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रहे हैं।
6 प्रधानमंत्रियों के मंत्री
रामविलास पासवान ने साल 1983 में दलितों के उत्थान के लिए दलित सेना का गठन किया था। वहीं 1989 में नवीं लोकसभा में तीसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। केंद्र की वीपी सिंह सरकार में उन्हें पहली बार कैबिनेट में जगह मिली और श्रम कल्याण मंत्री बनाया गया। इसके बाद एचडी देवगौड़ा और आईके गुजरात की सरकार में साल 1996 से 1898 तक पासवान को रेल मंत्री बनाया गया।
रामविलास पासवान ने 2002 के गोधरा दंगों के बाद तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी वाली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर एनडीए गठबंधन से भी नाता तोड़ लिया था। इसके बाद पासवान कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में शामिल हुए और मनमोहन सिंह कैबिनेट में दो बार मंत्री रहे। हालांकि, 2014 आते-आते पासवान एक बार फिर यूपीए का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए। 2014 और फिर 2019 में बनी नरेंद्र मोदी की दोनों सरकारों में उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में अहम मंत्रालय दिए गए।
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