पैरेंट्स को बच्चों को सिखानी चाहिए ये गुड मैनर्स, बन जाएगी उनकी लाइफ

By: Pinki Wed, 18 May 2022 5:17:15

पैरेंट्स को बच्चों को सिखानी चाहिए ये गुड मैनर्स, बन जाएगी उनकी लाइफ

बच्चों में शिष्टाचार और संस्कार ही दर्शाते हैं कि उनकी परवरिश कितनी अच्छी तरह से की गई है। 'तमीज' या 'मैनर्स' ये एक ऐसी चीज है जो पैरेंट्स को बचपन से ही अपने बच्‍चों को सिखानी होती है। बच्चों को अच्छी बातें सीखाना थोड़ा कठिन हो सकता है पर ध्यान रखें इस दौरान आपके लिए धैर्य रखना जरूरी है। आखिर धैर्य रखना भी एक अच्छी आदत है और बच्चे अपने बड़ों से ही सीखते हैं कि उन्हें एक अच्छा व्यक्ति कैसे बनना चाहिए। इसलिए माता-पिता या बड़े होने के नाते यह जरूरी है कि बच्चों के सामने अच्छा व्यवहार करें ताकि वे भी आपको देखकर सीखें। बच्चों को अच्छी बातें सिखाने से वह पूर्ण रूप से एक अच्छा, दयालु, सभ्य और महत्वकांक्षी व्यक्ति बनता है। इस लेख आज हम कुछ ऐसी बातों के बारे में बताने जा रहे है जो बच्‍चों को सिखानी बेहद जरूरी हैं...

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कब बंद करना है फोन

अब छोटे बच्‍चों तक के पास मोबाइल फोन है। अगर आपके बच्‍चे के पास उसका अपना मोबाइल फोन है तो आप उसे फोन एटिकेट जरूर सिखाने चाहिए। इसमें बच्‍चे को पता होना चाहिए कि उसे मोबाइल का इस्तेमाल कितना करना है. बच्‍चे के हाथ में मोबाइल थमा देना ही काफी नहीं है बल्कि उसे इसका सही इस्‍तेमाल बताना भी जरूरी है।

​सोशल मीडिया एटिकेट

आज के समय में बच्चे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं लेकिन उन्‍हें इससे जुड़े एटिकेट या मैनर्स का ज्ञान नहीं होता ऐसे में बच्चों को बताएं कि उसे किसी की परमिशन के बिना उनकी तस्‍वीरें पोस्‍ट नहीं करनी हैं और ना ही उन्‍हें टैग करना है। अपनी निजी जानकारी किसी को भी ऑनलाइन शेयर ना करें।

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'यू आर वेलकम' या 'माई प्‍लैजर'

बच्चे को 'यू आर वेलकम' या 'माई प्‍लैजर' बोलना सिखाएं. बच्‍चे को प्‍लीज और थैंक्‍यू तो कहना आता है लेकिन अब वो वेलकम कहना भूलते जा रहे हैं। कई बच्‍चे किसी के थैंक्‍यू बोलने पर नो प्रॉब्‍लम, व्‍हाटएवर, ओके कहते हैं या फिर कोई रिप्‍लाई नहीं देते हैं। हालांकि, थैंक्‍यू का सही जवाब यू आर वेलकम या माई प्‍लैजर होता है।

​सर्विस वर्करों को थैंक्‍यू

हम अपने दोस्‍तों या रिश्‍तेदारों को तो थैंक्‍यू बोल देते हैं लेकिल रेस्‍टोरेंट, थिएटरों या ऑफिसों में जो हमें सर्विस दे रहे है उनका धन्यवाद करना भूल जाते हैं। बच्‍चे को सिखाएं कि उसे लोगों को अपने नौकरी की तरह ट्रीट नहीं करना है बल्कि हर किसी के प्रति आभार रखना है।

​खांसी या छींक आने पर

हम बच्‍चों को अक्‍सर सिखाते हैं कि खांसी या छींक आने पर, उन्‍हें अपने मुंह या नाक पर हाथ रखना है ताकि कीटाणु न फैलें। गोल्‍डन रूल्‍स गाल के संस्‍थापक और एटिकेट एक्‍सपर्ट लीजा ग्रोट का कहना है कि आज के समय में बच्‍चे को ये आदत सिखाना और भी ज्‍यादा जरूरी हो गया है। इससे आसपास के लोग भी सहज और सुरक्षित महसूस कर पाते हैं।

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कुछ भी लेने से पहले बच्चों को पूछना सिखाएं

बच्चों को सिखाएं कि वे हमेशा किसी की कोई भी चीज लेने से पहले उनसे पूछ लें क्योंकि वह किसी और की चीज है। चाहे वह चीज उसके दोस्त, रिश्तेदार या माता-पिता का ही क्यों न हो, लेने से पहले पूछना जरूरी है। अपने बच्चे को यह भी सिखाएं कि उसने जो चीज ली है, उसे ‘थैंक यू’ कहते हुए वापस करे।

बच्चों को माफी मांगना सिखाएं या सॉरी बोलना सिखाएं


प्लीज और थैंक यू के साथ बच्चे को सिखाएं कि यदि वह कोई गलती करता है तो उसे सॉरी कहना यानी माफी मांगना भी जरूरी है। बच्चे में गलती करने पर माफी मांगने की आदत होनी चाहिए। बच्चे को सिखाएं कि उसे कब व कहाँ माफी मांगनी चाहिए और हर बार ऐसे ही सॉरी नहीं बोलना चाहिए। माफी मांगना एक स्किल है जिसे अपने बिहेवियर में ढालना आना चाहिए।

बच्चों के सामने गलत भाषा का उपयोग न करें


गलत भाषा बहुत ज्यादा अपमानजनक और असभ्य होती है। आप अपने बच्चे को सिखाएं कि उसे किसी से भी गलत भाषा में बात नहीं करनी चाहिए। फिर चाहे उसने यह सब टीवी पर किसी शो में सुना हो या कहीं और। इस आदत को सीखना बहुत जरूरी है। आप चाहें तो अपने बच्चे के साथ आराम से बैठें और उसे समझाएं कि ऐसी भाषा का उपयोग करना क्यों गलत होता है।

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लोगों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए

यह बच्चों को शुरू से ही सिखाना चाहिए, यदि एक बच्चे को नहीं पता है तो उसके लिए किसी का मजाक उड़ाना एक आम बात है। आप अपने बच्चे को सीखा सकते हैं कि लोगों के सामने या अकेले में भी किसी का मजाक उड़ाकर उसकी भावनाओं को चोट पहुँचाना अच्छी बात नहीं होती है।

बच्चों को लोगों की तरफ उंगली से इशारा करना या घूरना न सिखाएं

बच्चों को लोगों की भावनाओं को समझाने के लिए आप उदाहरण के तौर पर यह कह सकते हैं कि जब हम किसी की तरफ एक उंगली करते हैं तो बाकी तीनों उंगलियां हमारी तरफ ही होती हैं। बच्चे से पूछें कि उसे कैसा लगेगा यदि कोई इस प्रकार से उसकी तरफ उंगली करके इशारा करेगा या उसे घूरेगा। इससे बच्चे को समझ में आ सकता है कि किसी को घूरना या उसकी तरफ उंगली दिखाना गलत बात होती है।

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