त्यौंहारों से भरा है मार्च का यह महीना, जानें उनकी तारीख और महत्व

By: Ankur Mon, 01 Mar 2021 09:15:31

त्यौंहारों से भरा है मार्च का यह महीना, जानें उनकी तारीख और महत्व

आज मार्च महीने का पहला दिन हैं और यह महीना व्रत-त्यौहार के लिए बहुत शुभ हैं क्योंकि इस महीने के आने वाले दिनों में कई महत्वपूर्ण त्यौहार आ रहे हैं जो अपना विशेष धार्मिक महत्व रखते हैं। इसी महीने में रंगों से भरा होली का त्यौंहार भी हैं तो एकादशी का व्रत भी। यह माह विष्णु भक्तों के लिए बड़ा ही उत्तम माना जा रहा है। आज इस कड़ी में हम आपको इस मार्च महीने में आने वाले सभी प्रमुख त्यौंहार और उनके महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जनाते हैं इसके बारे में।

अंगारक चतुर्थी (2 मार्च, मंगलवार)

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अंगारक चतुर्थी का व्रत किया जाता है। यह चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन विघ्न विनाशक भगवान गणेश की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि अंगारकी चतुर्थी का व्रत करने से पूरे साल भर के चतुर्थी व्रत का फल प्राप्त होता है।

कालाष्टमी (3 मार्च, बुधवार)

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत किया जाएगा। यह व्रत भगवान शिव के रूप कालभैरव को समर्पित है। इस दिन रात्रि जागरण कर भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनी जाती है और उनके सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है। मान्यता है कि कालभैरव का व्रत करने से सभी समस्याओं से मुक्ति मिलती है और तंत्र-मंत्र जैसी नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।

astrology tips,march 2021 vrat and festival,vrat and festival importance ,ज्योतिष टिप्स, मार्च 2021 व्रत और त्यौंहार, त्यौंहार का महत्व

विजया एकादशी (9 मार्च, मंगलवार)

फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकदाशी के नाम से जाना जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 9 मार्च दिन मंगलवार को है। शास्त्रों में विजया एकादशी को सभी व्रतों में सबसे उत्तम माना गया है और इस व्रत के करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। विजया एकादशी का व्रत करने से दोनों लोकों में विजय मिलती है। भगवान विष्णु की आराधना करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह सबसे उत्तम व्रत है।

महाशिवरात्रि (11 मार्च, गुरुवार)

हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि आती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण पर पड़ने वाली चतुर्दशी की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि के पर्व को बहुत धुमधाम से मनाया जाता है और इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है। मान्यता है कि इस भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन सच्चे मन से शिव-पार्वती की पूजा करने से सभी शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

शनि अमावस्या (13 मार्च, शनिवार)

सनातन धर्म में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है और यह शुभ तिथि इस बार 13 मार्च दिन शनिवार को पड़ रही है इसलिए इसे शनैश्चरी अमावस्या का योग बना है। अगर आप शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं तो शनि अमावस्या का दिन आपके लिए विशेष शुभ है। इस अवसर शनिदेव की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पा सकते हैं।

विनायक चतुर्थी (17 मार्च, बुधवार)

हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है और इस दिन व्रत रखने का विधान है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने बाद लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। आजम निर्विकल्पम निराकारमेकम अर्थात भगवान गणेश अजन्मे, गुणातीत और निराकार हैं और उस परमचेतना के प्रतीक हैं, जो पूरे ब्रह्मांड में व्याप्त है।

astrology tips,march 2021 vrat and festival,vrat and festival importance ,ज्योतिष टिप्स, मार्च 2021 व्रत और त्यौंहार, त्यौंहार का महत्व

होलाष्टक आरंभ (21 मार्च, रविवार)

होली से आठ दिन पहले हर साल होलाष्टक आरंभ हो जाता है। इस साल यह तिथि 21 मार्च दिन रविवार को है। शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से फाल्गुन पूर्णिमा तक का समय होलाष्टक कहा गया है। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित बताया गया है क्योंकि यह अशुभ समय होता है। खास तौर पर इस दौरान मांगलिक कार्य करना बहुत ही अशुभ माना गया है।

आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी (25 मार्च, गुरुवार)

फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी कहते हैं। इस बार यह शुभ तिथि 25 मार्च दिन गुरुवार को है। होली से पहले पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और जो लोग व्रत नहीं भी रख रहे हों, उनको आंवला का जरूर सेवन करना चाहिए। इससे कई गुणा पुण्य की प्राप्ति होती है। मथुरा में रंगभरनी एकादशी के दिन बांके बिहारी की होली का इस साल विशेष आयोजन होता है।

होलिका दहन (28 मार्च, रविवार)

सनातन धर्म में होली का त्योहार सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन से होलाष्टक से जमा की गई लकड़ियों और उपलों को एकत्रित करके उसकी पूजा की जाती है और शुभ समय पर होलिका दहन किया जाता है। यह पर्व सत्य और अच्छाई का पर्व है। होली की कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप नामक राजा की बहन होलिका आग में जल गई थी और भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद उस आग से बच गए थे। इस उपलक्ष्य में होलिका दहन किया जाता है।

रंगोत्सव धुलंडी, शब ए बारात (29 मार्च, सोमवार)

चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को रंगवाली होली मनाई जाती है, जिसे धुलेंडी भी कहा जाता है। यह होलिका दहन के अगले दिन मनाई जाती है। इस दिन एक-दूसरे के रंग लगाया जाता है और इस पर्व को वसंतोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में मनाया जाता है। इस दिन गणगौर पूजा का भी आरंभ हो जाएगा, जो विशेष तौर पर राजस्थान में बहुत धुमधाम से मनाया जाता है और इस दिन शब ए बारात भी है और इस दिन विश्व के सभी मुस्लिम अल्लाह की इबादत करते हैं और दुआएं मांगते हैं। साथ ही अपने गुनाहों की तौबा करते हैं।

ये भी पढ़े :

# गोधूलि बेला में किए गए ये 5 काम बनते हैं दरिद्रता का कारण, ना करें इन्हें करने की गलती

# आज माघी पूर्णिमा पर होना हैं कुंभ का पहला शाही स्नान, इन उपायों से करें मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न

# उत्तर दिशा है धन के कोषाध्यक्ष कुबेर का स्थान, इन 5 चीजों को रखना लाएगा आर्थिक तंगी

# दक्षिण मुखी मकान को भी बनाया जा सकता हैं शुभकारी, करें वास्तु के इन नियमों का पालन

# पूर्ण नियमों के साथ करें पूजापाठ, देवतागण के आशीर्वाद से बनेंगे सभी बिगड़े काम

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com