देश में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना, इस बार नहीं बनेगा एल-नीनो: मौसम विभाग

नई दिल्ली। इस साल मानसून के दौरान भारत में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 15 अप्रैल को यह जानकारी देते हुए स्पष्ट किया कि इस बार पूरे मानसून सीजन में एल-नीनो जैसे हालात बनने की कोई संभावना नहीं है।

मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया, “जून से सितंबर तक चलने वाले चार महीने के मानसून सीजन के दौरान देश में औसतन 105% बारिश होने का अनुमान है, जो दीर्घकालिक औसत 87 सेमी से अधिक है।”

एल-नीनो की स्थिति अक्सर भारतीय उपमहाद्वीप में कमजोर मानसून से जुड़ी होती है, लेकिन इस साल ऐसा कोई प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा, ऐसा विभाग का कहना है।

हालांकि, देश के कई हिस्से पहले से ही भीषण गर्मी की चपेट में हैं और अप्रैल से जून के बीच लू के दिनों की संख्या भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है, जिससे बिजली व्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है और जल संकट की स्थिति पैदा हो सकती है।

भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल लगभग 42.3% आबादी की आजीविका का आधार है, बल्कि देश की जीडीपी में 18.2% का योगदान भी करता है। इसके अलावा, देश के 52% शुद्ध खेतीयोग्य क्षेत्र की सिंचाई पूरी तरह से मानसूनी बारिश पर निर्भर करती है।

मानसून बारिश से देश के जलाशयों को भी भरने में मदद मिलती है, जो न केवल पीने के पानी की आपूर्ति के लिए बल्कि बिजली उत्पादन के लिए भी जरूरी होते हैं।

ऐसे में, सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान देश के लिए एक बड़ी राहत की खबर है।

हालांकि, विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि कुल वर्षा सामान्य रहने का अर्थ यह नहीं है कि बरसात पूरे देश में समान रूप से और एकसमान समय पर होगी। जलवायु परिवर्तन के चलते वर्षा की प्रकृति में अस्थिरता बढ़ रही है।

जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि बरसात के दिनों की संख्या घट रही है, जबकि अल्प समय में अधिक बारिश की घटनाएं (हेवी रेन इवेंट्स) बढ़ रही हैं, जिससे अक्सर बाढ़ और सूखे जैसी विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं।